Chhattisgarh Rajya Gramin Bank के बिलासपुर छ.ग. ग्रामीण बैंक में डेढ़ करोड़ रुपए के लोन घोटाले का मामला उजागर हुआ, रेलवे और CSIDC कर्मचारी बताकर किया फर्जी दस्तावेज जमा

                      






  छत्तीसग के बिलासपुर ग्रामीण बैंक में डेढ़ करोड़ रुपए के लोन घोटाले का मामला उजागर हुआ है। बैंक, प्रबंधन ने लोन की राशि जमा नहीं कराने पर ऑडिट कराया, तब पता चला कि वर्ष 2020 में सात लोगों ने अपने आप को रेलवे और CSIDC कर्मचारी बताकर फर्जी दस्तावेज जमा कर एक करोड़ 60 लाख रुपए का लोन ले लिया है।  

    लोन बांटने के इस फर्जीवाड़े में बैंक के तत्कालीन अफसरों की मिलीभगत होने की आशंका है। पुलिस ने लोन घोटाले में बैंक प्रबंधक की शिकायत पर केस दर्ज किया है। मामला तारबाहर थाना क्षेत्र का है

ग्रामीण बैंक में गड़बड़ी का


 यह मामला तारबाहर थाना क्षेत्र का है 


सरकंडा के अपोलो रोड में रहने वाली अंकिता दुबे छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक में प्रबंधक हैं। उन्होंने पुलिस को बताया है कि क्षेत्रीय कार्यालय से लोन प्रकरण का ऑडिट कराया गया। इसमें सात मामलों में लोन में गड़बड़ी पाई गई है। जांच में पता चला है कि लोन लेने वालों ने खुद को रेलवे और सीएसआइडीसी का कर्मचारी बताकर फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किया था और बैंक में खाता खुलवाया था।

        इसी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अगस्त 2020 में जरहाभाठा के ओमनगर निवासी भोका       सिंह केंवटा, टिकरापारा शांति अपार्टमेंट निवासी कबला साईं नाग वेंकटेश, गणेश नगर निवासी अब्दुल शादाब, मसानगंज के अवस्थी बाड़ा निवासी रिकेश श्रीवास्तव, सागरदीप कॉलोनी निवासी पवन माली, तालापारा मरीमाई के पास रहने वाला आरिफ खान, कुम्हारपारा निवासी अजय रजक, अमेरी के शालोम टॉवर्स निवासी प्रफुल्ल कुमार बापट ने अलग-अलग करीब एक करोड़ 60 लाख रुपए का लोन ले लिया। इन खाताधारकों ने लोन की जमा नहीं की।

 लाखो-हजार रुपए है बकाया
बैंक अफसर ने पुलिस को बताया कि लोन लेने वाले कथित रेलवे और सीएसआईडी कर्मचारियों ने 26 लाख 70 हजार रुपए का किश्त जमा किया। फिर बाद में बकाया किश्त की राशि जमा नहीं की। राशि जमा नहीं होने पर बैंक में ऑडिट कराया गया, तब उनके दस्तावेजों की जांच की गई। 

जिसमें उनके कूटरचित दस्तावेजों का पता चला। लोन लेने वाले इन खातेदारों से 86 लाख 57 हजार रुपए बकाया है। उन्होंने पुलिस से शिकायत के साथ बैंक की ऑडिट रिपोर्ट भी पुलिस को सौंपी है।

लोन दिलाने वालों ने जो दस्तावेजों पहचान की थी दो एजेंट के खिलाफ भी केस दर्ज             

       बैंक द्वारा कराई गई जांच में यह पता चला है किरण राव और आरिफ खान के नाम के एजेंट ने   मिलकर लोन दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने ही दस्तावेजों और लोन लेने वालों की      पहचान की थी। लिहाजा, उनके खिलाफ भी पुलिस में केस दर्ज कराई गई है। बैंक के पास दोनों      एजेंटों का पता नहीं है। ऐसे में पुलिस उनकी जानकारी जुटा रही है।

TI शीतल सिदार cg police - 
                                             बैंक अफसरों की भूमिका की भी होगी जांच TI शीतल सिदार का कहना है कि बैंक लोन देने और गड़बड़ी के इस केस में बैंक के तत्कालीन अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध है।

             बैंक लोन देने के पहले दस्तावेजों की जांच कराई जाती है और भौतिक सत्यापन भी कराने का नियम है। लेकिन, बैंक के जिम्मेदार अफसरों ने बिना दस्तावेजों की जांच के कैसे और किस आधार पर लोन दिया, इसकी भी जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि जांच में तत्कालीन अधिकारियों और कर्मचारियों का बयान दर्ज कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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