स्वतंत्र जिला बनाने की मांग फिर पकड़ रहा जोर भाटापारा को, 35 बरस पुरानी है जिला बनाने की मांग





35 बरस पुरानी है जिला बनाने की मांग एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर खैरागढ़ उपचुनाव के बाद जैसी गंभीरता दिखाई देती है, वह डेढ़ बरस बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए खतरे की घंटी जैसी मानी जा सकती है।

भाटापारा को स्वतंत्र जिला बनाने की मांग फिर पकड़ रहा जोर
                    
भाटापारा को पृथक व स्वतंत्र जिला बनाए जाने का मुद्दा अब फिर से गर्म होने लगा है। क्षेत्र की जनता पहले भारतीय जनता पार्टी की सरकार से उम्मीद लगाए बैठी थी, परंतु उस समय सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। वर्ष 2018 प्रदेश में सरकार बदल गई और बागडोर कांग्रेस के हाथ में आ गई, तब से लेकर आज तक क्षेत्र की जनता कांग्रेस सरकार की ओर टकटकी लगाए देख रही है। परंतु अब क्षेत्र की जनता का भरोसा टूटता हुआ नजर आ रहा है। साथ ही जनप्रतिनिधियों की बेरुखी से मैदानी कार्यकर्ता अब संकट में है। आखिर, चुनाव के समय उन्हें भी जनता को जवाब देना होगा।


35 बरस पुरानी है जिला बनाने की मांग 

एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर खैरागढ़ उपचुनाव के बाद जैसी गंभीरता दिखाई देती है, वह डेढ़ बरस बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए खतरे की घंटी जैसी मानी जा सकती है। यह संकट निष्ठावान कार्यकर्ता के घर बैठे जाने या हाथ का साथ छोड़ देने जैसी स्थितियों के रूप में दिखाई दे सकता है। स्थानीय कांग्रेस के पदाधिकारियों के सामने बड़ा संकट बन है।   

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