छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी का रास्ता खुला - विशेष पिछड़ी जनजातियों के शिक्षित युवाओं के लिए, 3 साल पहले का फैसला, अब जाकर 9623 युवाओं मिलेगी नौकरी

 







सामान्य प्रशासन विभाग ने छत्तीसगढ़ में विशेष पिछड़ी जनजातियों के पढ़े-लिखे युवाओं को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरी को प्रशासकीय स्वीकृति दे दी है। ऐसे युवाओं को सरकारी नौकरी देने का फैसला अगस्त 2019 में हुआ था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को जशपुर में यह घोषणा की। सामान्य प्रशासन विभाग ने सोमवार को भर्ती की मंजूरी का आदेश जारी कर दिया।


सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने सोमवार को बिलासपुर, मुंगेली, राजनांदगांव, कोरिया, कबीरधाम, कोरबा, सरगुजा, जशपुर, बलरामपुर, रायगढ़, गरियाबंद, धमतरी, कांकेर, महासमुंद, नारायणपुर, सूरजपुर और बलौदाबाजार के कलेक्टरों को एक पत्र जारी किया। इसमें कहा गया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में 27 अगस्त 2019 को जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक में "विशेष पिछड़ी जनजातियों' के शिक्षित और पात्र युवाओं का सर्वे कराकर नियुक्ति का फैसला हुआ था।


NOTICE -






 सीधी भर्ती के रिक्त पदों पर

सर्वे के बाद जिलों में ऐसे शिक्षित युवाओं की संख्या 9 हजार 623 है। ऐसे में जिले में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर "विशेष पिछड़ी जनजाति' के पात्र युवाओं को सीधी भर्ती के रिक्त पदों पर भर्ती करने की स्वीकृति प्रदान की जाती है। इस आदेश के साथ विशेष पिछड़ी जनजातियों के युवाओं की सरकारी नौकरी का रास्ता खुल गया है।


भर्ती प्रक्रिया जिला कलेक्टरों की जिम्मेदारी

बताया जा रहा है, अब जिला कलेक्टरों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की जिम्मेदारी है। वे अब जिले में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों को चिन्हित करेंगे। उसके बाद जिले की सूची में शामिल विशेष पिछड़ी जनजाति के युवाओं की भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अभी तक इस वर्ग के लोगों की सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी बेहद कम है।


पिछड़ी जनजातियां प्रदेश में सात विशेष में पांच

केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ की पांच जनजातियों को विशेष पिछड़ी जनजाति की श्रेणी में रखा है। इसमें अबूझमाड़िया, कमार, पहाड़ी कोरबा, बिरहोर और बैगा शामिल हैं। राज्य सरकार ने भी दो जनजातियों पण्डो और भुजिया को इस श्रेणी में शामिल किया है। इस तरह सात जनजातियां विशेष पिछड़े समूह के तौर पर चिन्हित हैं। ये जनजातियां 10-12 जिलों में ही निवास करती हैं।

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