Janjgir Champa News Rahul In Borewell मौत को दी मात, बोरवेल में फंसे राहुल को सुरक्षित बाहर निकाला, बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती



Janjgir Champa News  Rahul In Borewell मौत को दी मात, बोरवेल में फंसे राहुल को सुरक्षित बाहर निकाला, बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती





 छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में बोरवेल में फंसे राहुल को 106 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन बाद मंगलवार देर रात सुरक्षित निकाल लिया गया। रेस्क्यू के फौरन बाद उसे बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल भेजा गया। राहुल शुक्रवार को दोपहर करीब 2 बजे 60 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था। प्रशासन, SDRF, NDRF और सेना ने इस ऑपरेशन को बिना रुके और बिना थके अंजाम दिया। इस दौरान उन्हें काफी परेशानियों को भी सामना करना पड़ा। ये देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन बताया जा रहा है।


राहुल को बाहर निकलने के बाद जवानों ने भारत माता की जय के नारे लगाए

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रेस्क्यू ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए थे। वो राहुल के परिजनों के संपर्क में थे। मंगलवार रात उन्होंने सोशल मीडिया पर रेस्क्यू ऑपरेशन कामयाब होने की जानकारी दी।सीएम ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान गड्‌ढे में एक सांप भी आ गया था। मगर खतरा टल गया। काफी लोग घटनास्थल के पास मौजूद थे। जैसे ही राहुल को बाहर निकाला गया जवानों ने भारत माता की जय के नारे लगाए। लोगों ने रेस्क्यू टीम के लिए तालियां बजाईं और पटाखे चलाए। लोगों ने SDRF, NDRF और सेना के जवानों को गोद में उठा लिया।


पांच दिन तक 60 फीट नीचे दबे रहने के कारण राहुल के शरीर में कमजोरी

पांच दिनों में राहुल की निगरानी स्पेशल कैमरे से की जा रही थी। उसे भोजन-पानी दिया जा रहा था। हौसला बनाए रखने के लिए लगातार उससे बात भी की जाती रही। पांच दिन तक 60 फीट नीचे दबे रहने के कारण और गड्ढे में पानी भरे होने के कारण उसके शरीर में कमजोरी है।


रेस्क्यू ऑपरेशन में चट्टानों को ड्रिलिंग मशीन से ना काटकर हाथ से तोड़ा

सेना के जवानों ने रेस्क्यू की कमान अपने हाथ में ले ली थी। वो टनल के जरिए पहले बोरवेल और फिर राहुल तक पहुंचे। बच्चे के अंदर होने की वजह से चट्टानों को ड्रिलिंग मशीन से ना काटकर हाथ से तोड़ा गया, फिर अंदर की मिट्टी हटाई गई। ऐसा करते-करते जवान राहुल तक पहुंचे। इसके बाद रस्सी से खींचकर राहुल को बाहर लाया गया। उसकी हालत को देखते हुए पहले से ही एंबुलेंस, डाक्टरों की टीम और मेडिकल इक्युपमेंट्स तैयार थे। टनल से एंबुलेंस तक कॉरिडोर बनाया गया था। राहुल को स्ट्रैचर के जरिए सीधे एंबुलेंस तक लाया गया।


NDRF टीम आराम देने के लिए जवानों ने कमान संभाली

सेना की ओर से बताया गया कि NDRF टीम को आराम देने के लिए जवानों ने कमान संभाली थी। यह एक जॉइंट ऑपरेशन था। सवाल बच्चे की जिंदगी का था, ऐसे में चट्‌टान तोड़ने के लिए इक्युपमेंट्स से ज्यादा हाथों का इस्तेमाल किया गया। जवान हाथों से मिट्टी निकाल रहे थे और कोहनी के सहारे आगे बढ़ रहे थे। धीरे-धीरे मिट्टी हटाते-हटाते आखिरकार वह लम्हा आ ही गया जब बनाई गई टनल बोरवेल से मिल गई। वहां पहली बार अंदर चट्टान के हिस्से पर सोए राहुल की पहली झलक जवानों को मिली। बाहर जानकारी दी गई और भीड़ भारत माता की जय के नारे लगाने लगी।


10 जून को बोरवेल में गिरा था राहुल

राहुल साहू (10) का शुक्रवार दोपहर 2 बजे के बाद से कुछ पता नहीं चला। जब घर के ही कुछ लोग बाड़ी की तरफ गए तो राहुल के रोने की आवाज आ रही थी। गड्‌ढे के पास जाकर देखने पर पता चला कि आवाज अंदर से आ रही है। बोरवेल का गड्‌ढा 60 फीट गहरा था।

ये भी बताया गया है कि बच्चा मूक-बधिर है, मानसिक रूप से काफी कमजोर है, जिसके कारण वह स्कूल भी नहीं जाता था। घर पर ही रहता था। पूरे गांव के लोग भी 2 दिन से उसी जगह पर टिके हुए थे, जहां पर बच्चा गिरा है। राहुल अपने मां-बाप का बड़ा बेटा है। एक भाई 2 साल छोटा है। पिता की गांव में बर्तन की दुकान है।



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