छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में एक विलुप्त प्रजाति मिली - "उड़ने वाली गिलहरी" भारत में उड़ने वाली गिलहरियों की 10 प्रजातियां पाई जाती थीं अब वर्तमान में 12 हो गए है
छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला की पहाड़ी में कड़मपाल इलाके में एक विलुप्त प्रजाति की उड़ने वाली गिलहरी मिली है। बताया जा रहा है कि, गिलहरी घायल अवस्था में पेड़ के नीचे पड़ी थी। जंगल गए ग्रामीणों ने गिलहरी को देखा, फिर इसकी जानकारी पर्यावरण प्रेमी और सर्प मित्र की टीम को दी गई। जिन्होंने गिलहरी का रेस्क्यू कर इलाज किया। जिसके बाद वापस जंगल में ही इसे सुरक्षित छोड़ दिया है। टीम के सदस्यों ने बताया कि, इस तरह की प्रजाति देश में सिर्फ 12 ही है। लेकिन, सभी विलुप्त हो रही हैं।
सर्प मित्र टीम के सदस्य अमित मिश्रा ने बताया कि, भारत में उड़ने वाली गिलहरियों की 10 प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन, हाल ही में वैज्ञानिकों ने दो और नई प्रजातियों के मिलने का दावा किया है। जिसके साथ अब ये संख्या 12 हो गई है। ये जीव अपने आप में काफी अनोखें होते हैं। यह सिर्फ घने जंगलों में ही देखने को मिलते हैं। इनमें से एक विलुप्त प्रजाति indian giant flying squirrel (उड़नेवाली विशाल गिलहरी) बैलाडीला क्षेत्र में देखी गई है
दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य चीन पायी जाती है
यह प्रजाति दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया के देशों सहित दक्षिण और मध्य चीन में भी देखी जाती है। इसके शरीर की लंबाई लगभग 45 सेंटीमीटर और पूंछ की लंबाई 52 सेंटीमीटर तक होती है। इसके बालों का रंग ग्रे या काला होता है। ये गिलहरियां 500 से 2000 मीटर तक की ऊंचाई पर उड़ सकती हैं। ये सूखे या फिर बारिश वाले इलाके, इन दोनों प्रकार के जंगलों में मिलती हैं। यह प्रजाति फलाहारी होती हैं। लेकिन, फलों के अभाव में कोमल पत्ते, पेड़ों की छाल, कोमल टहनी का भी सेवन करते हैं।
इनका शिकार होता रहा तो ये हो जायेंगे विलुप्त
ये प्रजाति जून के मध्य में ही केवल एक बच्चे को जन्म देती है। इसके प्राकृतिक शिकारियों की अच्छी संख्या के चलते उस बच्चे को बचा पाना भी इनके लिए मुश्किल होता है। अगर बचा भी ले तो मानव इसका शिकार करने से नहीं चूकते हैं। यही कारण हैं इनकी संख्या काफी कम हो चुकी है। इसी तरह से इनका शिकार होता रहा तो ये जल्द ही पूरी दुनिया से विलुप्त हो जाएंगी।