सरकारी कर्मचारियों और टीचरों ने शिवालयों में जलाभिषेक कर किया आंदोलनों का शुरुवात, पांच दिवसीय हड़ताल 76 संगठन








 छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के बैनर तले 76 संगठनों ने सोमवार से पांच दिवसीय हड़ताल शुरू कर दिया है। वहीं, छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने भी शिवालयों में जलाभिषेक कर स्कूलों में तालेबंदी कर दी है। बिलासपुर में आंदोलन के पहले ही दिन खासा असर देखने को मिला। कलेक्टोरेट, तहसील ऑफिस के साथ ही स्कूलों से टीचर्स गायब रहे। 

वहीं, नेहरू चौक में जुटे अधिकारी-कर्मचारियों ने जमकर नारेबाजी की और हल्ला बोला। इसकी वजह से सरकारी कार्यालयों में पहुंचे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। महंगाई और गृह भाड़ा भत्ता सहित अपनी लंबित मांगों को लेकर बिलासपुर में भी अधिकारी कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। 

हड़ताल का यहां भी खासा असर देखा जा रहा है। दफ्तरों में अधिकारी कर्मचारियों की कुर्सियां ख़ाली पड़ी रहीं। कामकाज ठप हो गया है। जिले के सभी विभागों के अधिकारी-कर्मचारी नेहरू चौक में हड़ताल पर बैठ गए और ऑफिस में कामकाज ठप पड़ गया है।


छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी नेता बोले- विधायकों का भत्ता बढ़ाया और कर्मचारियों की अनदेखी
फेडरेशन के पदाधिकारियों में लिपिक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित तिवारी और फेडरेशन के महासचिव जीआर चंद्रा बताया कि 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के अनुसार गृह भाड़ा भत्ता देने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ अधिकारी- कर्मचारी फेडरेशन लंबे समय से चरणबद्ध आंदोलन कर रहा है। 

लेकिन इसके बावजूद उनकी मांगों पर शासन कोई निर्णय नहीं ले रहा है। बल्कि, विधायक, जनप्रतिनिधियों का भत्ता बढ़ाकर अधिकारी कर्मचारियों को उपेक्षित किया जा रहा है, जो अधिकारी कर्मचारियों के हक पर कुठाराघात है।


शिवालयों में किया जलाभिषेक

इधर, दूसरी तरफ टीचर्स एसोसिएशन ने भी महंगाई भत्ते की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर दिया है। इसके चलते सोमवार को शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में तालेबंदी की स्थिति रही। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने सरकंडा स्थित नंदीश्वर शिव मंदिर में जलाभिषेक कर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर आंदोलन का शंखनाद किया। 

शिक्षक संघ का कहना है कि पिछले 2 कैबिनेट बैठक में कर्मचारियों को मंहगाई भत्ता बढ़ने का भरोसा था। लेकिन, 14 जुलाई के कैबिनेट बैठक में कर्मचारियों के मंहगाई भत्ता पर निर्णय लेने के बजाए विधायकों के वेतन भत्ते में वृद्धि का फैसला लिया गया।

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