मेंढ़क और मेंढकी का विवाह गाजे-बाजे के साथ, रीति-रिवाजों अनुसार ग्रामीणों ने करवाई शादी, ग्रामीण मान्यता के अनुसार शादी कराने से प्रसन्न होंगे इंद्र देव







छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में आज भी बारिश का सीजन आने के बाद मेंढक व मेंढकी की शादी कराई जाती है। यह परंपरा वर्षों से ग्रामीण इलाकों में चली आ रही है, जिसका निर्वहन ग्रामीण बखूबी कर रहे है। इस संबंध में ग्रामीणों के बीच मान्यता है कि मेंढ़क और मेंढकी का विवाह कराने से क्षेत्र में अच्छी बारिश होती है जिससे उस क्षेत्र के किसान अच्छी खेती कर सकते हैं। जिस इलाके में बारिश नहीं हो रही होती है और लोगों को लगता है कि इससे खेती पिछड़ जाएगी तो वे मेंढक-मेंढकी की शादी  की तैयारियों में जुट जाते हैं। बाकायदा मेंढ़क को दूल्हा और मेंढकी को दुल्हन बनाया जाता है। गाजे-बाजे के साथ दूल्हे को लेकर बाराती आते हैं और मेंढ़की से शादी कराते हैं। इसके बाद उन्हें छोड़ दिया जाता है 


ग्रामीणों के पारंपरिक रीति-रिवाजों अनुसार मेंढक-मेंढकी की शादी कराने से होती है  अच्छी बारिश  
बलरामपुर जिले में मॉनसून आने के बाद भी बरसात नहीं होने से किसान चिंतित और परेशान हैं। बारिश नहीं होने के कारण खेती पीछे हो रही है। बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार बारिश के लिए मेंढक-मेंढकी का विवाह कराया जाता है।
लोगों का ऐसा मानना है कि मेंढक-मेंढकी के मिलन से आमतौर पर अच्छी बारिश होती है। इसी मान्यता के अनुसार ग्रामीणों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों से इंद्र देव को खुश करने के लिए मेंढक और मेंढकी की शादी की।

बारिश नहीं  हुआ है इसलिए है परेशान 
मेंढक-मेंढकी की शादी में गांव के महिला-पुरूष ,बच्चे, बुजुर्ग शामिल हुए। ग्रामीणों ने कहा कि बारिश नही होने से वे बेहद परेशान हैं, ऐसे में उन्होंने इंद्रदेव को खुश करने के लिए पुरानी परंपरा अपनाई है ताकि क्षेत्र में अच्छी बारिश हो सके। वहीं पिछले साल भी जुलाई-अगस्त के महीने में लगातार कई दिनों तक बारिश नहीं हुई थी जिससे ग्रामीण निराश हो गए थे। रामानुजगंज क्षेत्र के ग्राम पंचायत भंवरमाल में सहित अन्य गांवों में भी देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए पूजा पाठ एवं हवन किया गया था।
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