पांच साल बाद रविवि में जैमोलॉजी का कोर्स शुरू, एडवांस तकनीक के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं
पांच साल बाद जैमोलॉजी का कोर्स शुरू
करीब पांच साल बाद आखिरकार पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में इस साल जैमोलॉजी यानी रत्न विज्ञान की पढ़ाई शुरू हो रही है। पिछले साल इस कोर्स में एक भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया था। इस वजह से पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई थी। लेकिन इस साल अभी तक 9 सीटों में एडमिशन हो गया है। इसलिए अगले हफ्ते से क्लास भी शुरू हो जाएगी।
कोर्स शुरू करने के बावजूद छात्रों के एडमिशन नहीं लेने की वजह से विवि प्रबंधन के सामने परेशानी बढ़ गई थी। लेकिन इस बार 10 में 9 सीटों में प्रवेश हो चुका है। इसलिए इस कोर्स को शुरू किया जा रहा है। राज्य में संभवत: रविवि पहला सेंटर है जहां जैमोलॉजी की पढ़ाई शुरू हो रही है।
10 सीटों में प्रवेश के लिए 24 फार्म जमा
पिछले कई साल से सराफा एसोसिएशन और बड़े ज्वेलर्स इस कोर्स को शुरू करने राज्य सरकार के आला अफसरों के पास जा रहे थे। विवि अफसरों को उस समय निराशा हुई थी जब कोर्स शुरू करने के बाद एक भी छात्र ने इसमें प्रवेश नहीं लिया था। इस साल 10 सीटों में प्रवेश के लिए 24 फार्म जमा हुए थे।
शुरुआत में सभी सीटों में प्रवेश की उम्मीद थी लेकिन अंतिम समय में छात्रों ने प्रवेश नहीं लिया। इस वजह से एक सीट खाली रह गई। छात्रों के प्रवेश लेने की वजह से अब यहां प्रैक्टिकल लैब भी बनाया जा रहा है। प्रोफेसरों का दावा है कि कुछ ही दिनों में प्रैक्टिकल के लिए लैब तैयार हो जाएगा।
दो साल पहले यह कोर्स शुरू
रविवि में इस बार रिमोट सेंसिंग और ज्योग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) की पढ़ाई भी शुरू की जा रही है। दो साल पहले यह कोर्स शुरू किया गया था। लेकिन इस कोर्स में छात्रों के प्रवेश नहीं लेने की वजह से इसकी कक्षाएं शुरू नहीं हो पाई थी।
इस बार इस कोर्स में भी 9 छात्रों के दाखिले हुए हैं। अगले हफ्ते से इसकी कक्षाएं शुरू हो जाएंगी।इसकी तैयारी कर ली गई है। इस कोर्स की अवधि भी एक साल की है। इस कोर्स को करने के बाद एडवांस तकनीक के क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
एक साल का होगा कोर्स
जैमोलॉजी का कोर्स एक साल का होगा। इसका सिलेबस तैयार कर लिया गया है। थ्योरी से ज्यादा प्रैक्टिकल पर जोर दिया गया है। अफसरों का कहना है कि समय की जरूरत के अनुसार कोर्स को डिजाइन किया गया है।
छात्रों की दिलचस्पी बढ़ने के बाद इसकी सीटों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती है। रत्न विज्ञान की पढ़ाई के लिए विवि के शिक्षकों के अलावा अलग-अलग एक्सपर्ट की भी मदद ली जाएगी।