आयुष्मान कार्ड से 6 निजी अस्पतालों में सिजेरियन प्रसव बंद, मरीजों को आयुष्मान कार्ड का अब नहीं मिलेगा लाभ, नाम बदलने के साथ परेशानी भी बढ़ हीं
आयुष्मान कार्ड से 6 निजी अस्पतालों में सिजेरियन प्रसव बंद
केंद्र शासन की ओर से जारी आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी अब जिले के 6 सहित प्रदेश के सभी पंजीकृत निजी अस्पतालों में सिजेरियन (ऑपरेशन) प्रसव नहीं करवा सकेंगे। अगर करवाएंगे तो नकद राशि देनी पड़ेगी। इस स्थिति में 13 से 25 हजार रुपए तक खर्च करना पड़ेगा। निजी अस्पताल प्रबंधन अपने हिसाब से चार्ज तय कर कई जांच के नाम पर बिल जारी करते हैं। की पड़ताल में सामने आया है कि शहीद अस्पताल दल्ली में सिजेरियन प्रसव कराने पर वर्तमान में 13 से 15 हजार रुपए तक चार्ज ले रहे हैं। जबकि बाकी निजी अस्पतालों में इससे ज्यादा चार्ज ले रहे हैं।
सिजेरियन पर ज्यादा का बिल
शहीद अस्पताल को छोड़ बाकी निजी अस्पतालों में सामान्य प्रसव पर ही 12 हजार रुपए चार्ज देना पड़ रहा है। जबकि सिजेरियन पर ज्यादा का बिल बना रहे हैं। सामान्य प्रसव के बाद अब सिजेरियन प्रसव के पैकेज को केंद्र शासन ने हटा दिया है।
जिसकी पुष्टि सोमवार को स्वास्थ्य विभाग ने की। हालांकि सुविधाओं व स्टाफ की कमी से जूझ रहे सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने चार्ज नहीं देना पड़ेगा, यहां कार्ड मान्य रहेगा।
नाम बदलने के साथ परेशानी भी बढ़ गई
पहले आयुष्मान कार्ड को लोग स्मार्ट कार्ड के नाम से जानते थे, जिसे अब अपडेट कराकर आयुष्मान में तब्दील किया गया है। कार्ड के नाम बदलने के साथ ही लोगों की परेशानी भी बढ़ गई है, क्योंकि पहले स्मार्ट कार्ड से सरकारी अस्पताल में जो सुविधा मिल रही थी
वह निजी अस्पतालों में भी लागू थी, लेकिन अब स्थिति ऐसी है, कि सरकारी अस्पताल में जो पैकेज है यानी विभिन्न बीमारियों का इलाज हो सकता है, उसके लिए निजी अस्पतालों में नकद देने की नौबत आ रही है।
एक ओर दावा, दूसरी ओर निजी अस्पतालों में बंदिशें
आयुष्मान कार्ड जारी होने के बाद एक ओर दावा किया जा रहा है कि विशेष प्राथमिकता वालों को 5 लाख रुपए तक व बाकी वर्ग के लोगों का 50 हजार रुपए तक इलाज की सुविधा मिलेगी। लेकिन निजी अस्पतालों में बंदिशें लगा दी गई है।
आलम यह है, कि ग्रामीण क्षेत्र में संचालित सरकारी अस्पतालों में इन बीमारियों का इलाज होना मुश्किल है, क्योंकि संसाधन व विशेषज्ञ डॉक्टर ही नहीं है। निजी अस्पतालों में अधिकांश बेड खाली है। पहले सामान्य बीमारियों का इलाज होने से ज्यादा मरीज पहुंचते थे।
सरकारी अस्पताल में गंभीर ्मरीजों का इलाज नहीं
जिला अस्पताल के भरोसे लोग आयुष्मान कार्ड से इलाज करा सकते हैं। लेकिन यहां भी स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होने से सप्ताह में एक ही दिन सिजेरियन प्रसव हो रहा है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत निजी अस्पताल के विशेषज्ञ को गुरुवार को अस्पताल बुलाकर प्रबंधन की ओर से सिजेरियन प्रसव कराया जा रहा है। बाकी दिन केस रेफर कराने की नौबत आ रही है। यहां से केस रेफर किया जाता है, तो लोग निजी अस्पताल पहुंचते है, जहां नकद राशि देनी पड़ती है।
मरीजों को आयुष्मान कार्ड का अब नहीं मिलेगा लाभ
अब आयुष्मान कार्ड से सामान्य, सिजेरियन प्रसव, मोतियाबिंद ऑपरेशन, दांतों का ऑपरेशन, नसबंदी सहित 114 बीमारियों का इलाज आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी निजी अस्पतालों में नहीं होगा।
यहां तक उल्टी, दस्त, मलेरिया, टाइफाइड सहित सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए भी सरकारी अस्पताल के भरोसे मरीजों को रहना होगा, क्योंकि सरकार ने निजी अस्पतालों से पैकेज हटा दिया है। शहीद अस्पताल में ही कुछ बीमारियों का पैकेज शामिल किया।
5 हजार रुपए जमा किया तब भर्ती करने सहमति दी
झलमला क्षेत्र के तिलोक साहू ने बताया कि सरकारी अस्पताल में कभी डॉक्टर रहते हैं, तो कभी नहीं, इसलिए तेज बुखार होने पर बड़े बेटे को एक निजी अस्पताल ले गए।
वहां काउंटर में कहा गया कि पहले 5 हजार जमा करो तभी भर्ती करेंगे। इसके अलावा कई मरीज हैं, जिन्हें कार्ड होने के बाद भी पैसा खर्च करने की नौबत आ रही है।
निजी अस्पताल से 16 अगस्त से पैकेज हटा दिया गया है
सीएमएचओ डॉ. एस मण्डल ने बताया कि शासन स्तर का मामला है, केंद्र शासन ने सिजेरियन प्रसव के लिए निजी अस्पताल में जो पैकेज रहता था, उसे 16 अगस्त से हटा दिया है। जिला अस्पताल में अभी सप्ताह में एक दिन सिजेरियन प्रसव हो रहा है, एक से ज्यादा दिन तक हो, इसके लिए मंथन कर रहे हैं।